Monday, August 31, 2015

रैगर समाज के बारे मै कुछ जानकारी



रैगर समाज के बारे मै कुछ जानकारी
1. स्‍वामी ज्ञानस्‍वरूप जी महाराज
(अ). रैगर समाज के पहले महात्‍मा थे 
जिनको सन् 1986 में भारत के तात्‍कालिन राष्‍ट्रपति
ज्ञानी जैलसिंह द्वारा ‘रैगर रत्‍न’
तथा सन् 1988 में सनातन धर्म प्रतिनिधि सम्‍मेलन दिल्‍ली में
तात्‍कालीन उप राष्‍ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने
‘धर्मगुरू’ की उपाधि से विभूषित किया ।
(ब). स्‍वामी ज्ञानस्‍वरूपजी महाराज की अध्‍यक्षता में गठित
‘जागृत पत्र प्रकाशन समिति- 'दिल्‍ली’ के तत्‍वाधान में
रैगर समाज का पहला मासिक समाचार पत्र
‘जागृति’ 2 अक्‍टूबर 1948 को दिल्‍ली से प्रकाशित हुआ था ।
2. श्री नवल प्रभाकर : दिल्‍ली
रैगर समाज के पहले सांसद, जिन्‍होंने 1952 में करोल बाग, दिल्‍ली से लोकसभा का चुनाव जीता ।
3. श्रीमती सुन्‍दरवती नवल प्रभाकर : दिल्‍ली
रैगर समाज की पहली महिला सांसद,
जिन्‍होंने 1972 में करोल बाग, दिल्‍ली से लोकसभा का चुनाव जीती ।
4. श्री धर्मदास शास्‍त्री : दिल्‍ली
रैगर समाज के पहले सांसद
जिन्‍होंने भारत की तात्‍कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गॉंधी को
सन् 1948 में तथा तात्‍कालीन राष्‍ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह को
सन् 1986 में रैगर समाज के बीच में लाकर समाज से अवगत कराया
और विश्‍व स्‍तर पर रैगर समाज को पहचान दिलाई ।
5. श्री भंवरलाल नवल : छोटी खाटू (नागौर) राजस्‍थान,
हाल प्रवासी अमेरिका
(अ). रैगर समाज के पहले दानवीर सेठ जिन्‍होंने लगभग 1400 जोड़ों के समाज एवं अन्‍य समाजों के सामूहिक विवाह
अपने समस्‍त खर्चे से सम्‍पन्‍न करवाए ।
एक ही व्‍यक्ति द्वारा इतने सामूहिक विवाह सम्‍पन्‍न करवाने का सम्‍भवत: यह पहला विश्‍व रिकार्ड है,
जो भारत एवं रैगर समाज के इतिहास में स्‍वर्ण अक्षरों में लिखने योग्‍य है ।
(ब). रैगर समाज के पहले दानदाता तथा समाजसेवी है
जिन्‍होंने शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और अकाल राहत, गरीबों की सहायता पर करोडों रूपये खर्च किए है ।
6. श्री छोगालाल कंवरिया : राजस्‍थान
रैगर समाज के पहले व्‍यक्ति जो प्रदेश मंत्रीमण्‍डल में केबीनेट मंत्री बने ।
दिनांक 19.01.1981 से 16.10.1982 तक
आप राजस्‍थान सरकार में चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री रहे ।
7. श्रीमती मीरां कंवरिया : दिल्‍ली
पहली रैगर महिला जो दिल्‍ली नगर निगम की (1997-2000) महापौर रही ।
8. श्रीमती आनन्‍दीदेवी जेलिया : कोटा (राज. )
पहली रैगर महिला विधायक
जो द्विवीय राजस्‍थान विधान सभा (1957-1962) में बारां (सु. ) से राजस्‍थान विधान सभा की सदस्‍य चुनी गई ।
9. श्री विनोद जाजोरिया : दिल्‍ली
रैगर समाज का पहले
IAS (1967)
10. श्री यादराम धूडि़या : दिल्‍ली
रैगर समाज का पहले IPS (1965)
11. श्री श्रवण कुमार दास : राजस्‍थान
पहले रैगर IPS जो किसी प्रदेश का महानिदेशक पुलिस (डी.जी.पी. ) बना ।
दिसम्‍बर, 2003 से 31 मार्च, 2005 तक
श्री दास मध्‍य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे ।
12. श्री चिरंजीलाल बाकोलिया : दिल्‍ली
भारतीय राजस्‍व सेवा (1967) के
श्री चिरंजीलाल बाकोलिया को रैगर समाज का पहले आयकर आयुक्‍त होने का सौभाग्‍य मिला ।
13. श्री आर.पी. नीडर : दिवराला (राजस्‍थान)
रैगर समाज का पहले RAS (1973)
14. श्री चन्‍दनमल नवल : जोधपुर (राज. )
(अ). रैगर समाज का पहले RPS (1977)
उप अधीक्षक पुलिस, 1977 तथा अतिरिक्‍त पुलिस अधीक्षक 1984
(ब). रैगर समाज का पहले पुलिस अधिकारी जिसे वर्ष 1992-93 में पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्‍यूरों, गृहमंत्रालय,
भारत सरकार द्वारा
‘पं. गोविन्‍द वल्‍लभ पंत पुरस्‍कार’ (प्रशस्ति पत्र के साथ रू.7000/- नकद) प्रदान किया गया ।
यह पुलिस से सम्‍बंधित विषयों पर हिन्‍दी में लेखन पर दिया जाने वाला सर्वोच्‍य राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार है ।
भारतीय दलित साहित्‍य अकादमी, दिल्‍ली द्वारा वर्ष 1994 में ‘डॉ. अम्‍बेडकर रा‍ष्‍ट्रीय पुरस्‍कार’ से सम्‍मानित किया गया ।
15. श्री रूद्रदेव शक्‍करवाल : दिल्‍ली
रैगर समाज का पहले इंजीनियर स्‍नातक जिसने सन् 1959 में दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय से इंजीनियरिंग की ।
16. श्री सुगनचन्‍द सिंगाडि़या : जैतारण (राज. )
पहले रैगर जो प्रदेश लोक सेवा आयोग का सदस्‍य रहा ।
श्री सिंगाडि़या सन् 1986 में छ: वर्ष के लिए राजस्‍थान लोक सेवा अयोग का सदस्‍य नियुक्‍त किया गया था ।
17. श्री नवल किशोर निडर : जयपुर (राज. )
पहले रैगर जो वकील बने ।
18. श्री भोलाराम तोंणगरिया : हैदराबाद सिंध
(अ). पहले रैगर जो स्‍वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व सिंध हैदराबाद (पाकिस्‍तान) में म्‍युनिसिपल कमीशनर रहे ।
(ब). अखिल भारतीय रैगर महासभा के पहले प्रधान (1944) बने ।
19. श्री जसपतराय गिरधर : दिल्‍ली
रैगर समाज में सबसे पहले मैट्रिक पास श्री जसपतराय गिरधर ने की थी ।
20. अनिता बाकोलिया : देवदर (सिरोही)
पहली रैगर महिला जो जिला प्रमुख बनी ।
वर्ष 2000-05 में सिरोही की जिला प्रमुख रही है ।
अनिता बाकोलिया स्‍व. छोगाराम बाकोलिया पूर्व मंत्री की सुपुत्री है ।
21. श्री कज्‍जूलाल जाजोरिया : जोबनेर (जयपुर)
रैगर समाज के पहले व्‍यक्ति जो नगरपालिका का चेयरमेन बने ।
श्री कज्‍जूलाल जाजोरिया वर्ष 1964 में जोबनेर नगरपालिका के चैयरमेन चुने गये थे ।
(सरदार शहर नगरपालिका अध्‍यक्ष का कार्यभार सन् 1958 में महेशभाई बंशीवाल के पास रहा
मगर वे चुने हुए अध्‍यक्ष नहीं थे ।)
22. श्रीमती दमयंति बाकोलिया : जयपुर
पहली रैगर महिला जो राज्‍य महिला आयोग की सदस्‍य रही ।
वर्ष 2003-06 में श्रीमती दयमंति बाकोलिया को राजस्‍थान महिला आयोग की सदस्‍य नियुक्‍त की गई थी ।
23. श्रीम‍ती कांतादेवी वर्मा : इन्‍दौर (मध्‍य प्रदेश)
पहली रैगर महिला सम्‍पादक जिसने 1993 में ‘’रैगर उत्‍थान’’ समाचार पत्र का प्रकाशन इन्‍दौर से शुरू किया था ।
24. श्री अनिल कुमार अकरणिया : कराेल बाग (नई दिल्ली)
रैगर समाज के पहले पुलिस बल (भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल) में असिस्टेंट कमांडेंट (1997) के पद पर चयनित अधिकारी।
वर्तमान में आप सैकेंड इन कमाण्ड के पद पर कार्यरत है और बरेली में बताैर आफिसर कमांडिंग तैनात है। आपने कई बार भारत -चीन के बीच हाेने वाली फ्लैग मीटिंग में भाग लिया।
आप देश के महामहिम राष्ट्रपति जी , उप राष्ट्रपति जी, अन्य वी वी आई पी और तिहाड़ जेल की सुरक्षा में तैनात रहे।
आप समाज की लगभग सभी प्रमुख संस्थाओं से जुड़े हुए हैं और समाजिक गतिविधियों में शामिल हाेते है और समाज की सेवा ही आपका उद्देश्य है।
25. श्रीम‍ती सीता कांसोटिया : कुचामन सिटी (नागौर)
रैगर समाज की पहली महिला RPS (उप अधीक्षक, पुलिस) 1999
26. श्री नन्‍द किशोर चौहान : परबतसर (नागौर)
रैगर समाज का पहले व्‍यक्ति जो पंचायत समिति के प्रधान बने ।
श्रीनन्‍द किशोर चौहान वर्ष 2004 से 2007 तक पंचायत समिति परबतसर के प्रधान निर्विरोध चुने गये थे ।
श्री नन्‍दकिशोर पूर्व विधायक श्री मोहनलाल चौहान का सुपुत्र है ।
27. श्रीमती अनिता देवी (अनिता वर्मा) : चाकसू (जयपुर)
पहली रैगर महिला जो पंचायत समिति की प्रधान रही ।
श्रीमती अनिता देवी वर्ष 1995 से 2000 तक पंचायत समिति चाकसू की प्रधान निर्विरोध चुनी गई थी ।
28. श्रीम‍ती अन्‍नीदेवी उदय : पुष्‍कर (राज. )
रैगर समाज की पहली महिला जो नगरपालिका की अध्‍यक्ष चुनी गई ।
श्रीमती अन्‍नीदेवी उदय वर्ष 1999 से 2003 तक पुष्‍कर नगरपालिका की अध्‍यक्ष रही है ।
29. श्री दयाराम जलुथरिया : दिल्‍ली
पहले रैगर जो दिल्‍ली महानगर परिष्‍द का सन् 1952 में सदस्‍य चुने गये ।
30. श्रीमती पार्वती आर्य (बालोटिया) : मन्‍दसौर (म.प्र. )
रैगर समाज की ही नहीं एशिया की प्रथम महिला ट्रक चालक का खिताब
सन् 1986 में भारत के तत्‍कालिन राष्‍ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह द्वारा उन्‍हें यह खिताब प्रदान किया गया ।
साथ ही साथ मध्‍य प्रदेश में पहली महिला जिला पंचायत उपाध्‍यक्ष वर्ष 2005 में बनी ।
31. श्री योगेन्‍द्र चान्‍दोलिया : दिल्‍ली (करोल बाग)
रैगर समाज की ही नहीं दलित समाज के प्रथम दिल्‍ली नगर निगम स्‍थायी समिति के अध्‍यक्ष पद के लिए 2009 चुने गये ।
और लगातार तीसरी बार अध्‍यक्ष चुने गये है ।
रैगर समाज में hat-trick जमाने वाले पहले व्‍यक्ति है ।
32. श्री ले. कर्नल जे.एल. कानवा (कनवाड़िया) : जोधपुर
पहले रैगर जिन्‍हे भारतीय सेना में कर्नल होने का गौरव मिला ।
आपने 21 दिसम्‍बर 1968 को अपनी ट्रेनिग पूरी करके द्वितीय लेफ्टीनेन्‍ट के पर आपका चयन हुआ ।
रैगर समाज में अभी तक बिरले ही हुए है
जिनको अपने जीवन काल में तीन-तीन युद्धों में भाग लेने का गौरव प्राप्‍त हुआ हो ।
33. श्रीमती सुमन कांसोटिया : कुचामन सिटी (नागौर)
रैगर समाज की पहली महिला जिन्‍हे भारतीय विदेश सेवा I.F.S. में होने का गौरव मिला ।
आपका चयन वर्ष 2012 की बैच में हुआ ।
मात्र 28 वर्ष की उम्र में आपने इस उपलब्धि को हांसिल कर अपने परिवार व समाज का गौरवांवित किया ।
34. मेजर इन्‍द्रजीत गोटवाल : टोंक (दवली तहसील : ग्राम जलसीना)
पहले रैगर जिन्‍हें भारतीय सेना के अन्तर्गत राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड
( NSG BLACK CAT COMMANDO)
जैसी उच्चतम रक्षा सेवा में रहते टोंक जिले के पहले
BLACK CAT COMMANDO
बन कर हमारे रैगर समाज को गौरव दिलाया हैं ।
आपका 2006 मे भारतीय सेना में चुने गये एवं ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी
( O.T.A Chennai ) में दिन रात कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर
22 सितम्बर 2007 में लेफ्टनेंट के पद पर माहार रेजिमेन्ट की 9 वीं बटालियन में कमिशन्ड हुए ।
9वीं बटालियन माहार रेजिमेन्ट के इस अफसर की 22 अप्रैल 2014 को कैप्टन से मेजर के पद पर पदोन्नति हुई ।
इसी दौरान उन्हे बेस्ट ऑफिसर के लिए डी जी कमैन्डेशन
(D.G Commendation) भी प्रदान किया गया ।mi
मात्र 30 वर्ष की उम्र में आपने इस उपभलब्धि को हांसिल कर अपने परिवार व समाज का गौरवांवित किया ।
जय हो रैगर समाज के महान आदर्श वानो का

मुख्य अतिथि हेतु निमंत्रण पत्र

शुभ घड़ी जब आती है, शुभ कार्य तभी हो जाता है ।

समाज में जो सत कर्म करेगा, समाज उसके गुण गायेगा
जो गंगा धरती पर लायेगा, वो भागीरथ कहलायेगा

समाज के प्रबुद्धजनों समाज सेवियों, 

जैसा कि आप सभी अवगत हैं कि आज कल समाज में शादियो में दिन-ब-दिन बढती फिजूल खर्ची के कारण आर्थिक रूप से कमजोर परिवारो को शादी के पहाड़ रूपी खर्चे का बोझ उठाना मुश्किल हो रहा है l दहेज़ के अलावा दहेज़ रूपी दानव एक अहम् किरदार निभा रहा है कन्या भूर्ण हत्या में, क्योंकि माँ बाप के मन उसकी शादी के खर्चे का भी भय होता हैं l सामूहिक विवाह की पहल से हम समाज में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारो  की आर्थिक मदद के अलावा अनैतिक, असामाजिक बुराई दहेज़ प्रथा और कन्या भूर्ण हत्या जैसी समस्या का भी निदान कर रहे है l  
 सामूहिक विवाह समाज के भगीरथ बंधुओ द्वारा समाज हित में एक सार्थक सोच के साथ महत्वपूर्ण कदम हैं।
: कार्यक्रम विवरण :
आपको इस सन्दर्भ में सादर सूचित किया जाता है कि सामूहिक विवाह समिति की ओर से विशेष आपको सादर सूचित किया जाता है कि अतिथि के रूप में आपके नाम का प्रस्ताव पास हुआ है जिसके लिए आपकी स्वीकृति आवश्यक है l ताकि समिति निमंत्रण कार्डो व पोस्टर में नाम छपवा सके l 

हिन्दू धर्म में; सद्गृहस्थ की, परिवार निर्माण की जिम्मेदारी उठाने के योग्य शारीरिक, मानसिक परिपक्वता आ जाने पर युवक-युवतियों का विवाह संस्कार कराया जाता है। भारतीय संस्कृति के अनुसार विवाह कोई शारीरिक या सामाजिक अनुबन्ध मात्र नहीं हैं, यहाँ दाम्पत्य को एक श्रेष्ठ आध्यात्मिक साधना का भी रूप दिया गया है। इसलिए कहा गया है 'धन्यो गृहस्थाश्रमः'। सद्गृहस्थ ही समाज को अनुकूल व्यवस्था एवं विकास में सहायक होने के साथ श्रेष्ठ नई पीढ़ी बनाने का भी कार्य करते हैं
विवाह दो आत्माओं का पवित्र बन्धन है। दो प्राणी अपने अलग-अलग अस्तित्वों को समाप्त कर एक सम्मिलित इकाई का निर्माण करते हैं। स्त्री और पुरुष दोनों में परमात्मा ने कुछ विशेषताएँ और कुछ अपूणर्ताएँ दे रखी हैं। विवाह सम्मिलन से एक-दूसरे की अपूर्णताओं की अपनी विशेषताओं से पूर्ण करते हैं, इससे समग्र व्यक्तित्व का निर्माण होता है। इसलिए विवाह को सामान्यतया मानव जीवन की एक आवश्यकता माना गया है।

सादर नमस्कार,
आपको सादर सूचित किया जाता है कि हर वर्ष की भांति ज्ञान लक्ष्य (NGO) द्वारा इस वर्ष भी श्री बाबा रामदेव शोभायात्रा समारोह का आयोजन निम्नांकित कार्यक्रम के अनुसार स्वामी आत्मा राम लक्ष्य पार्क, A & B ब्लाक ज्वाला पुरी, सुंदर विहार, नई दिल्ली-110087 में किया जाएगा।
आठवीं सामूहिक भव्य शोभा यात्रा :-
15 सितम्बर, 2015  प्रातः 9.00 बजे  
आठवीं सामूहिक भव्य श्री बाबा रामदेव शोभायात्रा समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पधारने हेतु श्री मदन खोरवाल जी से अनुरोध किया गया है।
प्रार्थना है कि आप आठवीं सामूहिक भव्य श्री बाबा रामदेव शोभायात्रा समारोह में अपनी गरिमामयी उपस्थिति से प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करें और समारोह को सफल बनाने में अपना योगदान देने की कृपा करें।
सादर,

आदरणीय ………………जी, नमस्कार.
आपकी …………. पत्रिका में मेरी रचना को भी स्थान मिला. इसके लिए हार्दिक आभार. लेखन को प्रोत्साहन देने के लिए आपका यह प्रयास सच ही हिंदी साहित्य को नए आयाम देगा. आपके साथ यह साहित्यिक यात्रा बहुत गरिमा पूर्ण रहेगी ऐसी कामना है.


नव वर्ष-नव संवत्सर की शुभकामनाओं सहित,
प्रिय श्री …… जी,
नमस्कार। आपका निमंत्रण पत्र मिला, हार्दिक धन्यवाद। जानकर आत्मिक प्रसन्नता हुई कि ‘……………….' ई-पत्रिका अपनी पहली वर्षगांठ मना रही है। इस अवसर पर कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाना अत्यन्त सुखद है। कृपया इस हेतु मेरी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं स्वीकार करें। 'अनहद कृति' उत्तरोत्तर प्रगति करे एवं अपने उद्देश्य में सफल होकर हिन्दी साहित्य जगत में अपनी अलग पहचान बनाये, यही कामना है। इस हेतु पत्रिका को मेरा रचनात्मक सहयोग सदैव रहेगा।
अंतरजाल पर मौजूद लगभग सभी पत्रिकाओं में मेरी रचनाएं प्रकाशित हैं लेकिन 'अनहद कृति' से जुडऩे का एक अलग ही आनंद रहा। लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। चूंकि मैं दैनिक समाचार पत्र में महत्वपूर्ण दायित्व निभा रहा हूं और अतिव्यस्तता है इसलिए विवश हूं। अन्यथा आपके कार्यक्रम में अवश्य शामिल हो पाता।
मंगलकामनाओं सहित,
प्रिय ……. जी,
अनहद कृति के द्वितीय वर्ष में पदार्पण करने पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें. पत्रिका निकालना बहुत कठिन काम होता है. आपने यह कार्य पूरी निष्ठा के साथ किया , इसके लिए आपका अभिनन्दन करता हूँ और आप इस अवसर पर जो आयोजन कर रहे हैं, उसकी सफलता की कामना करता हूँ. आपका उत्साह बना रहे, सहयोगी मिलते रहें, और आप सफलकाम हों, इसी आशा और विश्वास के साथ,
भवदीय
आदरणीय सम्‍पादक महोदय,
सादर प्रणाम।
बधाई । आपका आमंत्रण पत्र मिला। राजकीय सेवा में हूँ और वर्तमान में लोक सभा आम चुनाव के चलते और आचार संहिता के रहते उपस्थित होने की स्थिति में नहीं हूँ। भविष्‍य में कभी संभव हुआ तो किसी प्रोग्राम में सम्मिलित होने का प्रयास करूँगा। इस आयोजन की सफलता के लिए ढेरों शुभकामनायें। आपकी यह पत्रिका सफलता की नई ऊँचाइयाँ छुए। हिंदी के प्रचार प्रसार के नये आयाम स्‍थापित करे। अनहद कृति परिवार के सभी सहयोगियों, सदस्‍यों को मेरी शुभकामनायें। मुझे गर्व है कि मैं आपकी पत्रिका का सदस्‍य हूँ। साहित्यिक सहयोग के लिए सदैव तत्‍पर हूँ। धन्‍यवाद।
भवदीय,
"तुलसी क्यारे सी हिंदी को हर आँगन में रोपना है,

यह वो पौधा है जिसे हमें नयी पीढ़ी को सोंपना है।"

Letter for inviting chief guest to attend the conference in college.

Dear Dr. Agarwal,

Let me proudly introduce our institution to you as a service oriented institution to bring up the rural belt of our country and we have a mix of students from nearer states too and we are having courses of all fields in under graduation as well as post graduation level. We are offering research projects also in certain subjects and our students are really doing well. 

With this backdrop, let me take pleasure in inviting you to be the Chief guest for the conference on 'Economics, commerce and Management - current trends' we are going to organise during the last week of February 2014 for two days and it will be a pleasure to us if you come for a valedictory speech on the importance and feature of shares and stocks in our country which may help our students to get into the field and upgrade the knowledge in this area. We are happy to tell you that we have received a good number of conference papers on the theme of conference and there are good number of participants from colleges around.

It will be a pleasure to us if you send your concern on or before 20.2.2014 so as to enable us to make arrangements for your presence on the day of conference. It will be value addition to the students in this rural area.

With regards,

Yours sincerely

Sample

(Address)
Dear (Name),
We take great pleasure to inform you that my/our concern ____________ (Company Name) has been appointed the sole Distributers for ____________ (Place Name) zone by Lit well Luminaries.
To inaugurate our new venture, a function is being held on____________ (Date). The inaugural ceremony would be presided over by eminent dignitaries. You are also requested to grace the occasion at the following address:
(Company Name)
(Address)
Please make sure to be present in time.
With Best Regards


It would be our honor if you are able to grace our occasion with your presence. We look forward to a favorable response from you soon.

Invitation Letter for Annual Baba Ramdev Shobha Yatra.

To,
Mr…………………………….
New delhi

Subject: Invitation Letter for Annual Baba  Ramdev Shobha Yatra.
Dear Sir,                                                                                                                  
Hope to find you in a good health. The purpose of writing is to inform you regarding the Annual Baba  Ramdev Shobha Yatra. This is the most pioneer Shobha Yatra of our Raigar Samaj in the mentioned field. We want to cordially invite you as chief guest in this Annual Baba Ramdev Shobha Yatra.  As, you are a symbol of success and inspiration for our Samaj. Your presence and thought provoking words will be a source of motivation for them. It would be a huge surprise for them to see you as Chief Guest in between them.
Sir, if you spare some precious time and come to this pioneer Shobha Yatra we shall be honored. The decided date is 15th September, 2015 on Tuesday. Timings are from 9.00 am as per SAMAJ schedule and venue is Swami Atma Ram Lakshay Park, A,B block Jawala Puri, Sunder Vihar, New Delhi-110087.
The management body and members are extremely excited to hear the positive response from your side. You have always supported us and we hope that you will also not refuse us in this regard. We understand your busy routine but few moments for us will be evergreen. We shall wait for your reply.
With Warm Regards,
xyz
Subject: Invitation as Chief Guest for Inauguration
Dear Mr. ………………..,
We gratefully appreciate your regular support to GYAN LAKSHAY (NGO) during past years. GYAN LAKSHAY (NGO) a project of NGO came into existence in 1999, Delhi. It has now successfully blossomed into a state of the art GYAN LAKSHAY (NGO) for Education serving more than 800 children with intellectual impairment, Cerebral Palsy, Autism and visual impairment. It is now the largest purpose built institute of its kind in India serving most neglected segment of the community. We are providing education, vocational-training, rehabilitation, physiotherapy, hydrotherapy sensory integration and speech therapy of international standards through our two campuses located in Model Town & Paschim Vihar.
Opening of Training Program
To serve larger number of special children we are promoting the concept of inclusive education in INDIA. As first step to achieve this goal, we started training of regular school teachers in “Inclusive Education” with assistance from West Delhi.
Now we are starting similar training with the assistance from Lakshay Panchayat. It is indeed a great pleasure to invite you as Chief Guest for Inauguration/Opening/Closing of Ceremony of Inclusive Training Program at Model Town Campus. Your presence will be a source of encouragement for Participants as well as Staff and management of Gyan Lakshay (NGO).
Looking for your favorable response
Yours Faithfully,
Subject: Special Guest Invitation
Dear Ms. Sheppard
I am writing to request your honorable presence in gracing our company's 30th anniversary this March 10, 2010. We would be most honored if you can be our event's chief guests and present a short speech in conjunction to the event, as you are one of the leading founders of this esteemed company.
Although you have retired from this company, you have been a pillar of strength and tower of motivation in spurring the company on its upward momentum since its establishment. We are most blessed to have had your input and guidance all theseyears to build this company up to its fine reputation today.
We look forward to your positive confirmation of our invitation to this special function. Please do not hesitate to call on us for any clarifications.
Respectfully Yours,

Hope to find you in a good health. The purpose of writing is to inform you regarding the Annual Farewell Party of BS. Microbiology Batch 2010-2014 in University of Aberdeen. This is the most pioneer batch of our institution in the mentioned field. We want to cordially invite you as chief guest in this farewell party. As, you are a symbol of success and inspiration for students. Your presence and thought provoking words will be a source of motivation for them. It would be a huge surprise for them to see you as Chief Guest in between them.
Sir, If you spare some precious time and come to this pioneer farewell party we shall be honored. The decided date is 4th December, 2014 on Wednesday. Timings are from 7 pm to 10 pm as per university schedule and venue is University Auditorium.
The management and students are extremely excited to hear the positive response from your side. You have always supported us and We hope that you will also not refuse us in this regard. We understand your busy routine but few moments for us will be evergreen. We shall wait for your reply.
With Warm Regards,

Dear Sir,
Hope to find you in best condition of your health. I am writing to inform you regarding the Farewell Party of M-phil Biochemistry Batch 2012-2014. The management has decided the date 20th December, 2014 on Friday. The decided Venue is University Hostel Ground. Sir, all preparations are at its peak and students are taking part with much enthusiasm. In this auspicious moment your kind presence as a Chief Guest will make the evening glamorous.
Kindly, make out some time and appear in between us all as a Honorable Chief Guest. This will enhance the privilege of our event and will make the event more sophisticated. Timings are from 8 pm to 10 pm. We acknowledge your hectic routine but without your presence and your motivational speech our function will be incomplete.
We hope that you will not disappoint the students and management. It would also be a sort of pleasure for the departing batch. We guess so that you will keep the excitement of students high and be there. It would be our immense pleasure.

With Kind Regards,

Sunday, August 30, 2015

जन्म से मरण तक हमारी जाति पूछी जाती है। हम अपनी जाति बताते-बताते थक चुके हैं। अब तो हमें माफ करो।

हम निश्चिंत हैं कि इस आलेख को लिखने वाले की जाति नहीं पूछी जाएगी। यदि जाति पूछी जाएगी तो जनाब हम अपनी जाति नहीं बताएंगे, क्योंकि सरकार ने ऐसी कोई बाध्यता नहीं रखी है कि आलेख लिखने के लिए जाति बताना अनिवार्य है। हम अपनी जाति बताने से साफतौर पर इंकार कर रहे हैं। ये बात कई लोगों को बुरी लग सकती है। हो सकता है सरकार को भी बुरी लगे। लेकिन हम भी क्या करें, समाज में जाति एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब जोड़ने का काम ही नहीं करता। हमें समाज से जुड़ना हैं, हमें मानवता से जुड़ना है। हमें समाज में इस सवाल का ऐसा जवाब विकसित करना है जो समाज में दूरी नहीं, बल्कि नजदीकी पैदा करे। हमें जाति और धर्म में नहीं बंटना है। इसलिए हम तो अपनी जाति नहीं बताएंगे। यदि सरकार हमें जाति बताने के लिए मजबूर करेगी तो फिर गांधीजी के रास्ते पर चलते हुए हम भी सत्याग्रह करेंगे। हम सरकार से इस सत्य का आग्रह करेंगे कि समाज को जाति के नाम पर मत बांटो। इंसान को इंसान से मिलने दो। एक-दूसरे को करीब आने दो। मगर लगता है सरकार ये नहीं चाहती। सरकार जब भी दस सालों पर जनगणना करवाती है तो हमसे हमारी जाति पूछती है। किसी स्कूल-कॉलेज में एडमिशन लेना होता है तो हमसे हमारी जाति पूछी जाती है। जब हम सरकार से नौकरी मांगने जाते हैं तो हमसे हमारी जाति पूछी जाती है। सरकार से कोई मदद मांगने जाते हैं तो हमसे हमारी जाति पूछी जाती है। जन्म से मरण तक हमारी जाति पूछी जाती है। हम अपनी जाति बताते-बताते थक चुके हैं। अब तो हमें माफ करो। आज हम मैच्योर हो चुके हैं। दुनियादारी की समझ है। जाति को लेकर अच्छा-बुरा सोच सकते हैं। बावजूद इसके जब भी जाति का सवाल आता है तो मन करता है सिर के बाल नोंच लें। अब जब जाति के सवाल पर हमारा ये हाल है तो जरा सोचिए उन बच्चों के मन पर क्या असर पड़ता होगा जिनसे उनकी जाति पूछी जाती होगी। सवाल तो बच्चों को यही बता रहा है कि तुम्हारी पहचान तुम्हारी जाति से है। ऐसे में कोई बच्चा बड़ा होकर अपनी जाति पर क्यों नहीं इतराएगा। क्यों नहीं वो अन्य जातियों के बीच अपनी जाति की पहचान सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए संघर्ष करेगा। जाति का सवाल एक बार फिर बिहार में पूछा जाएगा। ये सवाल प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के छात्रों से पूछा जाएगा। उन्हें इसका जवाब अपनी उत्तरपुस्तिका में देना होगा। बिहार में इस तरह का जो कदम उठाया जा रहा है उससे तो यही लगता है कि सरकार बच्चों को बताना चाहती है कि जितना जरूरी पढ़ना है उतना ही जरूरी जाति के बारे में जानना है। अब हमारे मन में ये उलझन पैदा हो रही है कि बच्चों को कैसे पता चलेगा कि उनकी जाति क्या है। यदि उनको उनकी जाति के बारे में यदि उनके मां-बाप बताएंगे तो   सुनी-सुनाई बात पर कोई भरोसा क्यों करें और यदि सरकार बच्चे के जन्म के वक्त जाति का प्रमाणपत्र जारी करती है तो उसे कैसे पता चलता है कि ये बच्चा अमुक जाति का है। यदि वो सुनी-सुनाई बातों पर सर्टिफिकेट जारी करती है तो फिर हम ये दावा करते हैं कि हमने एमबीबीएस किया है। हमें कल से मरीजों का इलाज करने की अनुमति सरकार को देनी चाहिए। अभी तक ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है कि किसी इंसान के डीएनए में झांककर ये पता लगाया जा सके कि ये आदमी अमुक जाति का है। ऐसे में हमारा सरकार से बस यही सवाल है आखिर क्यों समाज और इंसान को बांटने की कोशिश की जा रही है। जैसे-जैसे वक्त गुजरता जा रहा है, एजुकेशन का दायरा बढ़ता जा रहा है लोगों को समझ में ये बात आ रही है कि समाज जाति को ढो रहा है। वो भी सरकार की वजह से। हर जगह सरकार जाति पूछने लगती है, इसलिए याद रखना पड़ता है कि हम अमुक जाति के हैं। अन्त में सरकार से ये साफ करना चाहेंगे कि आप लाख कोशिश कर लो हम अपनी जाति नहीं बताने वाले, क्योंकि साइंटिफिक तौर पर हमें अपनी जाति का पता नहीं है। सरकार से गुजारिश है कि कोई ऐसी तकनीक विकसित करवाए और हमारे डीएनए में झांककर हमारी जाति के बारे में पता करके हमारा जाति प्रमाणपत्र जारी करे। यदि सरकार सुनी-सुनाई बातों पर जाति प्रमाणपत्र जारी करती  रही  तो  फिर कुछ दिनों के बाद हम ये दावा करेंगे कि हम भारत के प्रधानमंत्री हैं  और सरकार को हमें प्रधानमंत्री के तौर पर स्वीकार करना ही होगा।

दादा बा के समय के सुखी जीवन के सूत्र

हमारे दादा बा के समय के सुखी जीवन के सूत्र मालवी में-
*घर बनानो छोटो,
कपडो पहननो मोटो !
खानो जवार को रोटो,
तो कभी ना आय टोटो !!
आज की पीढी के नये सूत्र-
घर बनानो मोटो,
कपडो पेननो छोटो !
करजो लेनो मोटो,
खानो होटल को रोटो,
तो हमेशा ही रेवे टोटो!!

मारवाङी कविता-

दूध दही ने चाय चाटगी, फूट चाटगी भायाँ ने ।।
इंटरनेट डाक ने चरगी, भैंस्या चरगी गायाँ ने ।।
टेलीफोन मोबाईल चरग्या, नरसां चरगी दायाँ ने ।।
देखो मर्दों फैसन फटको, चरग्यो लोग लुगायाँ ने ।।
साड़ी ने सल्वारां खायगी, धोतीने पतलून खायगी ।।
धर्मशाल ने होटल खायगी, नायाँ ने सैलून खायगी ।।
ऑफिस ने कम्प्यूटर खाग्या, 'मेगी' चावल चून खायगी ॥
राग रागनी फिल्मा खागी, 'सीडी' खागी गाणा ने ॥
टेलीविज़न सबने खाग्यो, गाणे ओर बजाणे ने ॥
गोबर खाद यूरिया खागी, गैस खायगी छाणा ने ॥
पुरसगारा ने बेटर खाग्या, 'चटपटो खाग्यो खाणे ने ॥
चिलम तमाखू ने हुक्को खाग्यो, जरदो खाग्यो बीड़ी ने ॥
बच्या खुच्यां ने पुड़िया खाग्यी, अमल-डोडा खाग्या मुखिया ने ॥
गोरमिंट चोआनी खागी, हाथी खाग्यो कीड़ी ने ॥
राजनीती घर घर ने खागी, नेता चरगया रूपया ने ॥
हिंदी ने अंग्रेजी खागी, भरग्या भ्रष्ट ठिकाणो में ॥
नदी नीर ने कचरो खाग्यो, रेत गई रेठाणे में ॥
धरती ने धिंगान्या खाग्या, पुलिस खायरी थाणे ने ॥
दिल्ली में झाड़ू सी फिरगी, सार नहीं समझाणे में ॥
मंहगाई सगळां ने खागी, देख्या सुण्या नेताओ ने ॥
अहंकार अपणायत खागी, बेटा खाग्या मावां ने ॥
भावुक बन कविताई खागी, 'भावुक' थारा भावां ने ॥

Saturday, August 29, 2015

पति ईश्वर का दिया एक स्पेशल उपहार है

जबाब
एक युवती बगीचे में बहुत गुस्से में बैठी थी पास ही एक बुजुर्ग बैठे थे
उन्होने उस परेशान युवती से पूछा :- क्या हुआ बेटी क्यूं इतना परेशान हो
युवती ने गुस्से में अपने पति की गल्तीयों के बारे में बताया
बुजुर्ग ने मंद मंद मुस्कराते हुए युवती से पूछा बेटी क्या तुम बता सकती हो तुम्हारे घर का नौकर कौन है ?
युवती ने हैरानी से पूछा :- क्या मतलब ?
बुजुर्ग ने कहा :- तुम्हारे घर की सारी जरूरतों का ध्यान रख कर उनको पूरा कौन करता है?
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग ने पूछा :- तुम्हारे खाने पीने की और पहनने ओढ़ने की जरूरतों को कौन पूरा करता है?
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग :- तुम्हें और बच्चों को किसी बात की कमी ना हो और तुम सबका भविष्य सुरक्षित रहे इसके लिए
हमेशा चिंतित कौन रहता है?
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग ने फिर पूछा :- सुबह से शाम तक कुछ रुपयों के लिए बाहर वालों की और अपने अधिकारियों की खरी
खोटी हमेशा कौन सुनता है ?
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग :- परेशानी ऒर गम में कॊन साथ देता है ,
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग :- तुम लोगोँ के अच्छे जीवन और रहन सहन के लिए दूरदराज जाकर, सारे सगे संबंधियों को यहां तक
की अपने माँ बाप को भी छोड़कर जंगलों में भी नौकरी करने को कौन तैयार होता है ?
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग :- घर के गैस बिजली पानी, मकान, मरम्मत एवं रखरखाव, सुख सुविधाओं, दवाईयों, किराना, मनोरंजन
भविष्य के लिए बचत, बैंक, बीमा, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, पास पड़ोस, ऑफिस और ऐसी ही ना जाने कितनी
सारी जिम्मेदारियों को एक साथ लेकर कौन चलता है ?
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग :- बीमारी में तुम्हारा ध्यान ऒर सेवा कॊन करता है
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग बोले :- एक बात ऒर बताओ तुम्हारे पति इतना काम ऒर सबका ध्यान रखते है क्या कभी उसने तुमसे इस बात के पैसे लिए ?
युवती :- कभी नहीं
इस बात पर बुजुर्ग बोले कि पति की एक कमी तुम्हें नजर आ गई मगर उसकी इतनी सारी खुबियां तुम्हें कभी नजर नही आई ?
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आखिर पत्नी के लिए पति क्यों जरूरी है??
मानो न मानो
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जब तुम दुःखी हो तो वो तुम्हे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा। वो अपने दुःख अपने
ही मन में रखता है लेकिन तुम्हें नहीं बताता ताकि तुम दुखी ना हो।
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हर वक्त, हर दिन तुम्हे कुछ अच्छी बातें सिखाने की कोशिश करता रहता है ताकि
वो कुछ समय शान्ति के साथ घर पर व्यतीत कर सके और दिन भर की परेशानियों
को भुला सके।
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हर छोटी छोटी बात पर तुमसे झगड़ा तो कर सकता है, तुम्हें दो बातें बोल भी लेगा
परंतु किसी और को तुम्हारे लिए कभी कुछ नहीं बोलने देगा।
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तुम्हें आर्थिक मजबूती देगा और तुम्हारा भविष्य भी सुरक्षित करेगा।
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कुछ भी अच्छा ना हो फिर भी तुम्हें यही कहेगा- चिन्ता मत करो, सब ठीक हो जाएगा।। माँ बाप
के बाद तुम्हारा पूरा ध्यान रखना और तुम्हे हर प्रकार की सुविधा और सुरक्षा देने का काम करेगा।
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तुम्हें समय का पाबंद बनाएगा।
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तुम्हे चिंता ना हो इसलिए दिन भर परेशानियों में घिरे होने पर भी तुम्हारे 15 बार
फ़ोन करने पर भी सुनेगा और हर समस्या का समाधान करेगा।
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चूंकि पति ईश्वर का दिया एक स्पेशल उपहार है, इसलिए उसकी उपयोगिता जानो और
उसकी देखभाल करो।। ये मैसेज हर विवाहित स्त्री के मोबाइल मे होना चाहिए,
ताकि उन्हें अपनी पति के महत्व का अंदाजा हो।

Thursday, August 20, 2015

Use of unfair means in Govt. schools in the presence of teachers

Hi Sir/Mam

This is regarding the use of unfair means in exams. After listening to so many incidents where students are making use of unfair means in the presence of teachers, I have decided to write this complaint here. I feel shame when my cousin comes to me and tells me that how he and others in the school are using the slips and guides in-front of their teachers to write their exam. Not only this, teachers themselves are helping students in all this. they narrate most of the answers to students so that they can at-least get around 50% of their paper done and rest they can complete with the help of chits. I really do not know whom to blame for. Is this the teachers who are allowing all this to students Or is this the poor education system of India that has forced the teachers to go for it.
And this I am writing in regards to classes other than board classes where exams are taken under the supervision of native school teachers only in the presence of a superintendent. as per the system teachers are not allowed to fail a student until 8th Standard. After effects of this rule are:
1. Many students do not take interest in studies as they know that they will move on to next standard., does not matter if they are studying with interest or not.
2. As students did not study in class and teachers have to pass them (As per the NoFail until 8th), this forces the use of unfair means in exams.

Exams have become a child's play specially in Govt. Schools in Villages.
With a poor education system, those who study harder are left behind by the ones who are making use of all the unfair means to pass the exam. It is a real shame that teachers are supporting all this.
The ones who are making use of all this will not be able to stand in the society in future and that would definitely affect the growth of country as we know India lives in villages.
With this,I request you to take an action to look into this issue on urgent basis. 

Thanks

School not proper response

KV School over all Public opinion Good, But uniformly not maintain each on every school own decision to maintain the school. Teacher's not response to Parents, & Principal Properly not answered any type of quires given to principal properly not answered , 10th std student properly not studied. some school best teaching & coaching given, Anna Nagar school particularly i can see very worst impression Pls take necessary actions. Teacher's & student rapo very worst .. teacher's behavior very worst in tract with parents. So Pls change the Principal very strict & control teacher Principal required. Kindly help full for improve the school & school name.. Pls my humble request take investigation separately and visit also pls......
Important Point & Observations in KVS Annanagar:

Note: 1) Punctuality not maintain students come to school 8.40AM
2) Sports activity properly not done
3) Any functions properly not inform to parents,
4) Parents meeting yearly two times only conducted.
5) Some teacher parents in front of shouted students(using bad wards).
6) Proper communications not given
7) Daily homework's detail not informed to parents.
8) Any Emergency time contact with school - nobody responding
9) Govt declare leave emergency (ex: APJ Abdul kallam death ). School side security also not attending phone.. but TN Govt declare the leave. How to contact the . School Teacher phone not given, Principal contact no not available, land line nobody not attend. very difficult that day...
10) Class room & inside path not cleaning properly very worst conditions both room also.

Wednesday, August 12, 2015

देवर्षि नारद महान तपस्वी का अहंकार

देवर्षि नारद महान तपस्वी हैं। वे समस्त लोकों में नारायण के नाम का स्मरण करते हुए भ्रमण करते हैं। उनकी तपस्या, भक्ति और नीति की मां पार्वती भी प्रशंसक हैं। एक बार मां पार्वती भगवान शिव के समक्ष नारदजी की प्रशंसा कर रही थीं तो शिव ने नारदजी से संबंधित एक कथा सुनाई। कथा इस प्रकार है -नारदजी बहुत बड़े ज्ञानी और तपस्वी हैं लेकिन एक बार उन्हें इन दोनों गुणों का अहंकार करने के कारण बंदर बनना पड़ा था। नारद का वह घमंड भगवान विष्णु ने दूर किया था। एक बार नारदजी हिमालय के निकट एक गुफा में तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या देखकर इंद्र भी डर गए। इसलिए उन्होंने नारद का तप भंग करने के लिए कई अप्सराएं भेजीं लेकिन नारद पर उनकी कोशिशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वे तपस्या करते रहे। यह देखकर कामदेव ने भी नारद से क्षमा मांग ली। कामदेव के लौट जाने के बाद नारद ने मन में विचार किया कि आज मैंने काम को भी जीत लिया। बड़े-बड़े ऋषि इसकी शक्ति के आगे परास्त हो गए लेकिन मैंने इस पर विजय प्राप्त कर ली। वे भगवान शिव के पास आए और उन्हें पूरी घटना के बारे में बताया। शिव समझ गए कि आज नारद के मन में अहंकार आ गया। अगर नारद के इस अहंकार के बारे में विष्णुजी को मालूम होगा तो यह नारद के हित में नहीं होगा। इसलिए उन्होंने नारदजी से कहा कि यह बात विष्णुजी से मत कहना।शिव का ये सुझाव नारद को पसंद नहीं आया। उन्होंने विचार किया, आज मैंने काम पर विजय पाई है। मुझे इस घटना के बारे में विष्णुजी को जरूर बताना चाहिए। उन्होंने विष्णुजी को पूरी बात बता दी। विष्णुजी समझ गए कि आज नारद अहंकार के शिकार बन गए हैं। इसलिए जल्द ऐसा उपाय करना होगा जिससे इनका घमंड दूर हो जाए।इसके बाद नारदजी वहां से चले गए। अपनी माया से विष्णुजी ने उनके मार्ग में एक बहुत सुंदर नगर का निर्माण कर दिया। वहां के राजा का नाम शीलनिधि था। उसकी बेटी का नाम विश्वमोहिनी था। वह अत्यंत गुणवान और सुंदर थी। वह कन्या स्वयंवर के जरिए अपना वर चुनना चाहती थी। इसलिए दूर-दूर से कई पराक्रमी राजा आए थे।नारद भी वहां पहुंच गए। उनसे कहा गया कि वे उस कन्या की हस्तरेखा देखें और भविष्य बताएं। नारद उसकी हस्तरेखा देखकर भविष्य बताने लगे। कहां तो नारद काम पर विजय की गाथा सुना रहे थे और अब स्वयं ही विश्वमोहिनी के सौंदर्य पर मोहित हो चुके थे। नारद ने हस्तरेखा देखकर युवती का भविष्य जान लिया। उसके मुताबिक जो भी उससे विवाह करेगा, वह अत्यंत सौभाग्यशाली होगा। वह सदैव अमर रहेगा। उसे कोई पराजित नहीं कर सकेगा। संसार का हर प्राणी उसकी सेवा के लिए तैयार रहेगा। यह बात नारद ने किसी को नहीं बताई, बल्कि उसके अन्य गुणों के बारे में बताने लगे।नारद स्वयं उस लड़की से शादी करना चाहते थे। उन्होंने मन ही मन भगवान विष्णु को याद किया और उनसे हरि के समान रूप मांगा। भगवान ने नारद को तथास्तु कह दिया। उल्लेखनीय है कि हरि का एक अर्थ वानर भी होता है। विष्णुजी ने नारद को वानर जैसे मुख का वरदान दे दिया। स्वयंवर स्थल पर भगवान भोलेनाथ के दो गण भी विरामजान थे। उन्होंने वानर का रूप देखकर नारदजी से कहा, विश्वमोहिनी आपका यह रूप देखकर आपसे ही विवाह करेगी। इससे नारद अतिप्रसन्न हो गए। उधर, भगवान विष्णु भी एक राजा का रूप धारण कर स्वयंवर में आए थे। स्वयंवर में नारद बार-बार ऐसा प्रयास कर रहे थे ताकि वे विश्वमोहिनी को नजर आएं और वह उन्हीं के गले में वरमाला डाले, लेकिन नारद का ये प्रयास व्यर्थ ही रहा। विश्वमोहिनी ने राजा क वेश में आए विष्णुजी के गले में माला पहना दी। नारदजी के अरमानों पर पानी फिर गया। तब शिव के गणों ने उन्हें सलाह दी कि वे अपना चेहरा देखें। नारद ने दर्पण में चेहरा देखा तो पूरी बात समझ में आ गई। उन्होंने शिव के गणों को राक्षस होने का शाप दे दिया। उन्होंने फिर अपना चेहरा देखा तो वे अपने पूर्व रूप में आ चुके थे।उन्होंने विष्णुजी को भी शाप दिया कि आपने मनुष्य का रूप धरकर मुझे स्त्री से अलग किया है तो आपको भी यह अनुभव प्राप्त होगा। मुझे वानर बनाया, इसलिए आपको भी वानरों की जरूरत पड़ेगी। विष्णुजी ने यह शाप स्वीकार कर लिया। कुछ देर बाद विष्णुजी ने अपनी माया का समापन किया। अब न तो विश्वमोहिनी थी, न स्वयंवर और न कोई राजा। वहां तो संसार के स्वामी भगवान विष्णु ही विराजमान थे। यह देखकर नारद को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ और उन्होंने भगवान से क्षमा मांग ली। कहा जाता है कि इसके बाद विष्णुजी श्रीराम के रूप में अवतरित हुए, सीताजी का हरण हुआ, दोनों शिवगण कुंभकर्ण व रावण बने और श्रीराम को वानरों की मदद लेनी पड़ी।

कन्या की पत्रिका से सप्तम भाव व भावी पति

सप्तम भाव व भावी पति
प्रत्येक कन्या के मन में उसके भावी पति की तस्वीर कुछ इस तरह की होती है कि उसका पति सुंदर, आकर्षक, हृष्ट-पुष्ट, उत्तम चरित्र वाला, पढ़ा-लिखा, डॉक्टर, इंजीनियर या उद्योगपति होगा लेकिन वधू की पत्रिका द्वारा जाना जा सकता है कि उसका वर सपनों का राजा होगा या फिर लड़ाकू, कामुक या शराबी। कन्या की जन्म कुंडली में सप्तम स्थान उसके पति का होता है। यदि पत्रिका सही है तो उसके पति के संबंध में जाना जा सकता है।
यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण सूत्र देकर कुछ भावी पति के बारे में बताया जा रहा है लेकिन इन्हीं सूत्रों को ब्रह्म वाक्य नहीं माना जा सकता क्योंकि पुरुष की यानी वर की जन्म कुंडली को भी महत्व देना चाहिए। जन्म कुंडली का सप्तम भाव भावी पति के बारे में दर्शाता है। वहीं नवांश कुंडली भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है और नवांश प्रत्येक तीन मिनट में बदलती रहती है।
- सप्तम भाव में शुक्र स्वराशि वृषभ का हुआ तो पति अति सुन्दर होगा। सुन्दर से तात्पर्य गोरा नहीं, बल्कि नाक-नक्श उत्तम व चेहरा आकर्षक होगा। वृषभ का शुक्र कामुक भी बनाता है अतः वह कामुक भी होगा।
- सप्तम भाव में तुला का शुक्र हुआ तो वह वर कामुक न होकर सरल स्वभाव वाला सुन्दर आकर्षक व्यक्तित्व का व नपी-तुली बात करने वाला अपनी पत्नी से अत्यधिक प्रेम करने वाला होगा। कलाकार, संगीतप्रेमी, सौन्दर्य प्रिय, इंजीनियर या डॉक्टर भी हो सकता है।
- सप्तम भाव में कन्या की कुंडली में मीन राशि का शुक्र हुआ तो वह उच्च का होगा अतः उसका भावी जीवनसाथी काफी पैसे वाला होगा तथा भाग्यवान होकर धनी होगा।
- सप्तम भाव में यदि नीच राशि का शुक्र होता है तो उसका भावी पति अर्थहीन व स्त्री के धन का प्रयोग करने वाला होगा।
- सप्तम भाव में सूर्य सिंह दिशा में हो या नवांश में सिंह राशि हो तो वह कामुक होगा एवं दाम्पत्य जीवन सुखद कम ही रहेगा।
- सप्तम भाव में मेष का मंगल हुआ तो उसका पति पुलिस, सैनिक या संगठनकर्ता होगा, उसका स्वभाव उग्र भी हो सकता है एवं कामुक भी रहेगा।
- सप्तम भाव में वृश्चिक राशि का मंगल हुआ तो वह तुनकमिजाज होगा, कुछ व्यसनी भी हो सकता है या लड़ाकू प्रवृत्ति का भी हो सकता है। उसका चरित्र संदेहास्पद भी हो सकता है।
- सप्तम भाव में मंगल उच्च राशि का हुआ तो वह अत्यंत प्रभावशाली, महत्वाकांक्षी, उच्चपदस्थ अधिकारी या डॉक्टर, सेना या पुलिस विभाग में भी हो सकता है।
- सप्तम भाव में कर्क का चंद्रमा हुआ तो वह भावुक, सहनशील, स्नेही स्वभाव वाला, मधुरभाषी, पत्नी से अधिक प्रेम करने वाला, गौरवर्ण का सुन्दर होगा।
- सप्तम भाव में उच्च का चंद्रमा हुआ तो वह अत्यंत सुंदर, अनेक स्त्री मित्रों वाला, सौंदर्यप्रेमी, कामुक भी होगा।
- सप्तम भाव में मकर या कुंभ का शनि हो तो उसका पति उसकी उम्र से अधिक होगा।
- सप्तम भाव में शुक्र-चंद्र की युति हुई तो वह अत्यंत मनोविनोदी, सुंदर और अपनी पत्नी से अत्यधिक प्रेम करने वाला होगा।
- सप्तम भाव में बुध मिथुन राशि का हुआ तो उसका पति व्यापारिक या बैंककर्मी, लेखक, पत्रकार या विद्वान होगा।
- सप्तम भाव में उच्च का बुध हुआ तो उसका पति सुन्दर होने के साथ-साथ उच्च व्यापारी या बौद्धिक गुणों से भरपूर, उच्च पदस्थ अधिकारी भी हो सकता है।
- सप्तम भाव में धनु राशि का गुरु हुआ तो उसका भावी पति विद्वान, सुन्दर, गोल चेहरे वाला, प्रोफेसर या न्यायविद, अधिवक्ता या राजपत्रित अधिकारी, पत्नी से प्रेम करने वाला सद्चरित्र व ईमानदार होगा।
- सप्तम भाव में बुध-शनि की युति हो और उस पर मंगल की दृष्टि हो एवं उसे कोई भी शुभ ग्रह न देखता हो ना ही शुभ ग्रहों से मध्यस्थ हो तो उसका पति नपुंसक होता है।
- सप्तम भाव में उच्च का राहू या केतु हो तो उसका पति आधुनिक विचारों वाला व दार्शनिक भी हो सकता है।
- सप्तम भाव में चर राशि हो एवं चर ग्रह हो या चर ग्रहों से दृष्टिपात हो तो उसका पति सदैव बाहर रहने वाला होता है।
- सप्तम भाव पर नीच दृष्टि किसी भी ग्रह की पड़ रही हो तो उसका पति मध्यम स्तर वाला होगा।
- सप्तम भाव में सूर्य-चंद्र की युति हो तो उसका पति सदैव भ्रमणशील व परेशान रहकर गृहस्थ जीवन में बाधक होगा।
- सप्तम भाव पर गुरु-चंद्र की युति हो तो उसका पति विद्वान, गुणवान, चरित्रवान, सुन्दर, यशस्वी, मधुरभाषी, ईमानदार, उच्च पदस्थ अधिकारी, डॉक्टर या प्रोफेसर या न्यायाधीश भी हो सकता है।
- सप्तम भाव में मंगल-चंद्र की युति हो तो उसका पति सुंदर या उद्यमी हो सकता है। वहीं स्वभाव में मिला-जुला रुख रहेगा व भावुक भी होगा।
- सप्तम भाव में मंगल-चंद्र-शुक्र की युति वाली कन्या का पति अत्यंत सेक्सी स्वभाव वाला व चरित्र का कमजोर भी हो सकता है। गुरु की दृष्टि पड़ने पर चरित्रहीन नहीं होगा।
- शनि-चंद्र की युति सप्तम भाव में होने से उसका वर इंजीनियर या अस्थिरोग का या दाँतों का डॉक्टर भी हो सकता है।
- गुरु या राहू की युति वाली कन्या का पति गुप्त विधाओं का जानकार लेकिन चिन्ताग्रस्त चरित्र वाला रहेगा।
- यदि कन्या के जन्म लग्न में नीच का गुरु व चंद्रमा हो तो उसका पति गुणी व सुन्दर होगा।
- यदि कन्या की जन्म कुंडली में शनि की उच्च दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ रही हो तो उसका पति प्रशासनिक अधिकारी या शासकीय सर्विस में उच्च पदस्थ या लोहे का व्यापारी या ट्रेवल्स एजेंसी का मालिक होगा।
उपरोक्त सूत्र कन्या की पत्रिका से ही संबंधित है अतः वर की जानकरी उक्त सूत्रों से जानी जा सकती है।

Tuesday, August 11, 2015

Monday, August 10, 2015

पूँजीवादी समाज में परिवार का स्वरूप

हम जानते हैं कि जब समाज अपनी प्रारंभिक अवस्था में था तो परिवार की शुरुआती अवधारणाएँ और परिणतियाँ अपने मूल व्यवहार में तमाम आडंबरों से रहित थीं। उनमें खुलापन, आजादी और यायावरी थी। सामंती समाज तक आते-आते परिवार पितृसत्तात्मक हो गया और पुष्ट हो गए सामंती समाज ने ही उस बंद, कट्टर, सुरक्षित, रागात्मक परिवार की नींव डाली जिसकी चिंता आज की जा रही है। जाहिर है कि इस समाज के परिवार में एक पुरुष मुखिया (या सामंत) होता है और उसकी इस अवस्थिति को बनाए रखने में समाज, परंपरा, कानून और धार्मिक व्याख्याएँ शक्ति और सहायता प्रदान करती हैं। इस व्यवस्था में एक दास का होना आवश्यक है तभी परिवार का सामंती रूप पूर्ण हो सकता है। दासता के इस कार्यभार के लिए स्त्री को चुना गया। स्त्री को यह दासता गरिमापूर्ण लगे, इसके प्रति उसके मन में विद्रोह न हो इसलिए ममता, स्नेह, प्रेम, दायित्व, धर्म, कर्तव्य, शील आदि से उसे जोड़ा जाता रहा। लेकिन उसके नियम कभी भी स्त्री के लिए अनुकूल नहीं रहे। उसके लिए तो कैसे भी पति को प्रेम करना कर्तव्य और धर्म के अंतर्गत है। इस परिवार में स्त्री के शोषण के अनेक मान्य, प्रचलित और कठोर रूप रहे हैं।
स्त्री पर शासन आसान रहे, इसलिए ही विवाहों में उम्र और शिक्षा को ले कर एक बेमेल पंरपरा कायम की गई है जिसके तहत स्त्री का आयु में पुरुष से कम और शिक्षा में कमतर होना ही उचित मान लिया गया है। यदि वह आयु और शिक्षा में पुरुष से बड़ी या बराबर हुई तो इस बात के असर ज्यादा हैं कि उसे आसानी से शासित न किया जा सके। यद्यपि घरेलू, सामाजिक, औपचारिक, नैतिक और धार्मिक शिक्षा में इस बात की गारंटी कर दी गई है कि स्त्री समाज की ‘पहली इकाई’ में प्रवेश करते ही किसी पुरुष का स्थायी उपनिवेश हो जाए। इसी तरह के संदर्भों में कहा जाता है कि स्त्री पैदा नहीं होती, बनाई जाती है। इस ‘सामंती परिवार’ में पुरुष का जीवन सर्वाधिक आनंद में गुजरता है। गृहस्थी में उसकी जो मुश्किलें हैं वे एक नागरिक, मनुष्य और मुखिया की मुश्किलें तो हैं, लेकिन गुलाम या शासित की उन मुश्किलों से बिलकुल अलग हैं जो किसी मनुष्य की तमाम संभावना, प्रतिभा, स्वतंत्रता और चेतना को बाधित, कुंठित और प्राय: असंभव कर देती हैं।
इस तरह के परिवार में कुछ अन्य लक्षण सहज ही परिलक्षित होंगे, जो दरअसल सामंती व्यवस्था के सामाजिक-नागरिक लक्षणों से उत्पन्न हैं : जैसे स्त्री संपत्ति की तरह है और उसे अर्जित किया जा सकता है। उसे सुरक्षित करना जरूरी है अन्यथा घुसपैठ संभव है। वह पुरुष की प्रतिष्ठा का प्रश्न भी इसी वजह से है। चूँकि वह चल-संपत्ति है, इसलिए उसे अपने पास बनाए रखने के लिए हिंसा भी जायज है। इस परिवार में हिंसा के तमाम रूपों की उपस्थिति सहज रहती आई है। करुणा, दया, प्रेम, कृतज्ञता, नैतिकता, धार्मिकता और अभिनय का इस्तेमाल भी होता रहा है। हर स्थिति में उसका अधिकार दोयम है, कर्तव्य प्राथमिक और अनिवार्य। पारिवारिक इकाई के इसी स्वरूप को तरह-तरह से विकसित, महिमामंडित और दृढ़ किया गया। अब इसकी रागात्मकता, सहजता, कार्यकुशलता और व्यवस्था खतरे में है।
यहाँ ध्यान देना होगा कि अब हमारा समाज राजनीतिक, औपचारिक शिक्षा, तकनीकी, न्यायिक, संवैधानिक और स्वप्नशीलता के क्षेत्रों में सामंती नहीं रह गया है, भले ही रूढ़ियों, परंपराओं, सामाजिक आचरणों, मान्यताओं, धार्मिक विश्वासों आदि में सामंतीपन का ही बोलबाला है। बल्कि इन्हीं वजहों से अभी तक परिवारों में सामंती परिवेश बना रह सका है। लेकिन धीरे-धीरे पूँजीवाद ने शासन और तंत्र के वर्चस्ववादी इलाकों में अपनी ध्वजा फहराई है। लोकतांत्रिक व्यवस्था उसके लिए सर्वाधिक सहायक हो सकती है। लोकतंत्र की आड़ ही उसे तानाशाह होने की सीधी बदनामी से रोकती है। लेकिन लोकतंत्र की उपस्थिति अपना काम करती है और परिवार में किसी एक की तानाशाही अथवा सामंती प्रवृत्ति के खिलाफ भी वातावरण बनाती है। जाहिर है कि यह पूँजीवादी, उत्तर-आधुनिक समाज भी अपने जैसा ही परिवार बनाएगा। जैसा समाज, वैसा परिवार। क्या हम भूल रहे हैं कि परिवार समाज की पहली इकाई है ! ऐसा हो ही नहीं सकता कि समाज पूँजीवादी होता जाए और परिवार का चरित्र सामंती बना रहे।
पूँजीवादी समाज में अर्थवाद, संबंधों की स्वार्थपरकता, मनुष्य से मनुष्य की हृदयहीनता, हर क्रिया में छिपा निवेश तत्व, प्रदर्शनकारिता, उपयोगितावाद, उपभोक्तावाद, बाजारवाद और आत्मकेंद्रिकता के लक्षण प्रमुख हैं। इन लक्षणों को सब रोज-रोज अनुभव कर ही रहे हैं। इन्हीं विलक्षणताओं के कारण पूँजीवाद में प्रेम, मनुष्यता, रागात्मकता आदि का ही नहीं, बल्कि तज्जन्य संगीत, कला, साहित्यस, अध्यवसाय का लोप होता जाता है। इन्हीं सब बिंदुओं को आप परिवार पर लागू करें तो पाएँगे कि आज के परिवार का संकट यही है। अर्थात वहाँ स्वार्थ, उपयोगितावाद, निवेश मन:स्थिति, आत्मकेंद्रिकता का प्रवेश हो गया है और जीवन की रागात्मकता, हार्दिकता, सामूहिकता, और संगीतात्मतकता गायब है। यह होना ही है। इसे प्रस्तुगत समाज व्यावस्थाम में रोका नहीं जा सकता।
अभी जो ‘पुराने परिवार’ के रूपक हैं और उदाहरणों की तरह टापू की तरह दिखते हैं वे सामंती अवशेष हैं। गाँवों और कस्बों के जीवन में सामंती रीतियाँ जाति, वंश, परिवार परंपरा, धार्मिकता के प्रभाव बाकी हैं, अतएव वहाँ इन परिवारों का ध्वंस अभी उतना नजर नहीं आता, लेकिन ‘पूँजीवादी समाज से उद्भूत और प्रभावित परिवार’ शहरों तथा महानगरों में आसानी से मिल जाएँगे। आगामी कुछ ही समय में ये ‘पूँजीवादी समाज के परिवार’ बड़ी संख्या में तबदील होते जाएँगे। विवाह के लिए औपचारिक संस्कार गौण होते जाएँगे और करार के विधिक, मौखिक या सहमति के अन्य प्रकार स्वीकार्य होंगे। यह पूँजीवाद के चरित्र का ही हिस्सा है। इसी के चलते संभव है कि परिवार ‘आजीवन संस्था’ न रह कर ‘अल्पकालीन या आवश्यकतानुसार अनुबंध’ तक सीमित होती चली जाए।
यहाँ एक बात गौर करने लायक है। पूँजीवादी समाज की निर्मिति से बन रहे इन परिवारों में स्त्री का पारिवारिक शोषण तो रुक जाएगा लेकिन मनुष्य की अस्मिता, गरिमा, स्वतंत्रता और उड़ान से वे काफी हद तक वंचित ही रहेंगी, क्योंकि पूँजीवाद स्त्री को ‘उपयोगी’ और ‘उपभोक्तावादी’ वस्तु में ही न्यून करता है। वह स्वतंत्र तो होगी, लेकिन फिलहाल नियामक या निर्णायक नहीं। उसका ‘स्त्री’ होना उसके लिए नई मुश्किलें और कुछ तात्कालिक आसानियाँ पेश करेगा। पूँजीवादी व्वस्थाएँ और उसके गण उसका तदानुसार उपयोग करेंगे। यह आजादी विडंबनामूलक समस्या है। वह सामंती पिंजरे से निकल कर एक अथाह समुद्र में गिरेगी। यही कारण है कि अधिकांश लोगों को परिवार का सामंती रूप अधिक सुरक्षित और विकल्पहीन लगता है। इन परिवारों के विघटन और विनाश से पुरुषों का डर तो स्वाभाविक है क्योंकि उनका साम्राज्य इससे नष्ट होता है, किंतु स्त्रियों का डर अपने नरक से प्रेम करने और उसके पालन-पोषण के तरीकों में छिपा हुआ है। प्रसन्न इस बात पर तो हुआ ही जा सकता है कि स्त्री सामंती परिवार के कारागार से बाहर निकल पाएगी एवं नितांत नई समस्याओं के बीच स्वतंत्रचेता और स्वावलंबी होने के लिए विवश होगी। बहरहाल, यह संक्रमणकाल है और इसके बाद कुछ राहें निकलेंगी।
यह उम्मीद करना बेमानी और काल्पनिक नहीं है कि पूँजीवादी समाज अंतत: उस मानवीय, समतावादी और सामाजिक न्यायपूर्ण व्यवस्था से प्रतिस्थापित हो सकता है, जिसे ‘साम्यवादी व्यवस्था’ के स्वप्न में देखा जाता है। इस आकांक्षी व्यवस्था में ऐसे परिवार की कल्पना की जा सकती है जो अपने गठन, निर्माण और परिचालन में कहीं अधिक लोकतांत्रिक, समतावादी, रागात्मक और प्रेम भरा होगा, जिसमें स्त्री को मनुष्य का गरिमापूर्ण दर्जा मिलेगा और बच्चों के पालन-पोषण में अत्याचार, क्रूरता और इजारेदारी का हिस्सा खतम हो जाएगा। मार्क्स -एंगेल्स आज से 155 वर्ष पहले लिखे ‘कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र’ में यदि ‘बुर्जुआ सामंती परिवार’ के संकटों का जिक्र करते हुए उसे खारिज करना चाहते हैं तो वह कोई अराजक प्रस्ताव नहीं है। अब ऐसी परिवार व्यवस्था मुश्किल में आ रही है तो यह सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का हिस्सा है, भले ही अभी यह हमारी श्रेष्ठ मानवीय आकांक्षाओं के अनुकूल नहीं है मगर यह अपनी प्रकृति में ऐतिहासिक और द्वंद्वात्मक है।